योग का इतिहास

योग का इतिहास- Yog ka itihaas 


योग का हस्तातंरण भारत से पश्‍चिम एवं पुन: भारत की ओर!


योग कैसे सम्पूर्ण विश्‍व में प्रसिद्ध हो गया। यहाँ पर पढ़ें अभ्यास के रूप में योग का इतिहास।
1. भारत की भूमि में योग का प्रादुर्भाव हुआ।
2. भारत पर लगभग 200 वर्षों तक राज करने वालों के द्वारा योग को हटाने का प्रयास
3. भारत में योग का पुन: प्रस्फुटन एवं सम्पूर्ण विश्‍व में इसके लाभों के कारण विस्तार

‘‘योग के विद्यार्थी या योग के ग्राहक / चुनना आपको है।’’
श्री बी.के.एस. आयंगर
विश्‍वविख्यात योगाचार्य

योग हमारे जीवन का अभिन्‍न अंग क्यों हो?

इसे समझने के लिए योग के प्रादुर्भाव को देखते हैं साथ ही साथ कैसे योग को हमारी स्मृति से हटाने का प्रयास हुआ, इसे भी जानते हैं। प्राचीन काल में भारत ॠषि, मुनियों, योगियों, सन्यासियों की भूमि था। इन्होंने योग को जीवन पद्धति के रूप में अपनाया था। यह शांति, सम्पन्‍नता एवं खुशहाली का समय था। 1000 ए.डी. के आसपास आक्रांता महमूद गजनी ने भारत पर आक्रमण किया एवं उसने भारत की धन सम्पत्तियों को लूटा, मंदिरों को लूटा एवं ध्वस्थ किया। उस समय उसे योग से संबंधित लेख भी मिले। गजनी के सलाहकार अलबरूनी ने कहा कि जब तक इन लेखों का हम अनुवाद अरबी में नहीं करते इन्हें ध्वस्थ नहीं करें। अत: पतंजलि योग सूत्र का अरबी अनुवाद भी उपलबध है।


जब अंग्रेज भारत में आए उन्होंने मैक्यावलि की शिक्षा पद्धति भारत पर थोपि जिसका उद्देश्य सस्ते बाबू तैयार करना था। अंग्रेजों का उद्देश्य यह भी था कि अंग्रेजी भाषा भारत के पढ़े लिखे लोगों को आजाए जिससे हमें सुविधा हो सकें। अंग्रेजी भाषा आने का अभियान वर्तमान समय में भी हमारे समाज का एक हिस्सा है। अधिक पैसे वाले व्यक्‍ति का उद्देश्य बच्चों को बड़ी अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में दाखिला, डाईनिंग टेबिल पर बैठकर जंक फूड खाना। प्राचीन समय में इसी भारतीय संस्कृति का हिस्सा था गुरू शिष्य परंपरा जहाँ शिष्य खुले नीले आसमान के नीचे बैठकर गुरू से ज्ञान लेता था। योग आसन, प्राणायाम का अभ्यास गुरू के सानिध्य में किया जाता था।
मौखिक एवं प्रासंगिक रूप से प्राचीन ॠषि-मुनियों द्वारा शिष्यों को दिया गया योग का ज्ञान यदि परंपरागत रूप से जारी रहता तो अधिक लाभप्रद था। आक्रांताओं के समय-समय पर भारत पर किए गए हमलों एवं अंग्रेजों द्वारा प्रदत्त शिक्षा नीति ने साजिश के तहत योग को हमारी जीवन शैलि से हटाने का प्रयास किया गया। वर्तमान समय में भी योग के प्रति वैसी जागरूकता नहीं है जैसी कि हो जानी चाहिए थी।


हम पर राज करने वाले अंग्रेजों ने एवं यद्पि पश्‍चिमि देशों ने योग की महत्वता को समझाते हुए उसे अपनी जीवनशैलि का अंग बना लिया है तदपि भारत जहाँ से योग का उदय हुआ, इसे अपनी जीवनशैलि का अभिन्‍न अंग नहीं बना पाया है।महर्षि पंतजलि के योग सूत्र एवं स्वामि स्वात्माराम के हढयोगा प्रदीपिका का प्रभाव भारत भूमि पर इतना गहरा है कि कोई भी इसे हमारी जड़ों से नहीं हटा सकता। भारत सरकार के प्रयासों से योग के प्रति जनसाधारण की जागरूकता बढी जरूर है। संयुक्‍त राष्ट्रसंघ के द्वारा भी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया है।अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से भी सिद्ध होता है कि योग हमारी जीवन शैली  का एक अभिन्‍न अंग है, जिसके महत्व को हमें अभी और समझना है।

दिनांक   21st जून  2021
सर्टिफाइड योगा एंड मैडिटेशन ट्रेनर
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