घबराहट के लिए प्राणायाम

घबराहट के लिए प्राणायाम -Ghabrahat ke liye Pranayama

योग की गहराई को समझना-प्राणायाम | यहाँ पर पढिये प्रणायाम की सामान्य जानकारी एवं प्राणायाम क्यों श्‍वास प्रश्‍वास की श्रेष्ठतम् तकनीक है?

हम योगावास में  यह मानते हैं कि प्राणायाम मानवीय मस्तिष्क को कुशाघ्र करने की श्रेष्ठ विद्या है। प्राण का अर्थ प्राणवायु से होता है। बोलचाल की भाषा में प्राण अर्थात् वायु जो हम श्‍वांस के माध्यम से अंदर लेते हैं। आयाम से तात्पर्य नवीन विस्तार से होता है। अत: प्राणायाम से अर्थ नियंत्रित रूप से प्राणवायु का तारतम्य के साथ विस्तार है। सांसों को नियंत्रित करने के 3 चरण होते हैं :-

(1)          श्‍वांस          (2)          प्रश्‍वांस        (3)          श्‍वांस रोककर रखना

श्‍वांस को रोककर रखने की विद्या श्‍वांस एवं प्रश्‍वांस के मध्य में की जाती है। प्राणायाम योग गुरू के सानिध्य में ही किया जाना चाहिए क्योंकि यह विज्ञान होने के साथ-साथ कला भी है। प्राणायाम सासों में तारतम्यता एवं नियंत्रण स्थापित करता है। अत: योग के विद्यार्थी का स्वयं के मस्तिष्क पर भी नियंत्रण होना चाहिए। नियंत्रित मस्तिष्क सदैव सकारात्मक एवं रचनात्मक होता है। योग आसनों में भी दक्षता तब ही आती है जब मस्तिष्क नियंत्रित होता है। प्राणायाम से हमारा श्‍वसनतंत्र मजबूत बनता है। इससे हमारा स्नायुतंत्र मजबूत बनता है। प्राणायाम की विद्या निरंतरता चाहती है। प्राणायाम में पारंगतता आने पर हमारे शरीर के सभी अंग स्वस्थ बने रहते हैं। इससे हमें स्वास्थ्य की समग्रता प्राप्त होती है।

लेखक : ॠषि सिंह

दिनांक  : 10th जुलाई  2023
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