बच्चों की ऑनलाइन योग की क्लास

बच्चों को योग करना चाहिए किंतु प्रश्न यह है कि क्या बच्चे ऑनलाइन योग को सहज रूप से कर सकते हैं ? पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे मौलिक होते हैं,सहज होते हैं | कुल मिलाकर अंदर से जैसे होते हैं बाहर से भी ठीक वैसे ही होते हैं |जब एक बच्चा क्रोध करता है तो कैसे पैर को धरती पर पटकता है मानो धरती को हिला ही देगा | मेरे कहने का तात्पर्य है बच्चे सच्चे होते हैं, उनमें छल- कपट नहीं होता | सभी परिपेक्ष में ऑनलाइन कार्यकलाप वर्तमान समय की आवश्यकता है |

बच्चे कोरे होते हैं | पेरेंट्स जैसी चाहे उन्हें वैसी शेप दे सकते हैं | पैरंट्स ने ही कहीं ना कहीं यह धारण कर रखी है कि बच्चे ऑनलाइन योग नहीं कर सकते | मैं कहना चाहता हूं कि जब बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं, डांस कर सकते हैं,ड्राइंग कर सकते हैं, अन्य हॉबी क्लासेस कर सकते हैं तो बच्चे ऑनलाइन योग क्लास भी कर सकते हैं | विज्ञान मानता है कि 4 साल की उम्र से ही बच्चे योग कर सकते हैं बस योग गुरु को बच्चों को खेल-खेल में ऑनलाइन योग करवाने की कला आनी चाहिए | ऑनलाइन योग बच्चे आसानी से इसलिए भी कर सकते हैं कि एक तो योग गुरु बच्चों को स्वयं की स्क्रीन के ठीक सामने देख पाता है | अतः बच्चा इंटरेस्ट ले रहा है अथवा नहीं ले रहा योग गुरु सीधे तौर पर देख पाता है | इससे योग गुरु तुरंत बच्चों को क्लास में इंवॉल्व करने हेतु कोई ना कोई उन बच्चों की रुचि संबंधित गतिविधि करवा सकता है,बच्चों को सीधे निर्देश के माध्यम से योग क्लास में पुनः इंवॉल्व किया जा सकता है | बच्चे यदि ऑनलाइन योग करेंगे तो उनके आने-जाने का समय बचेगा | वे अपने प्रिय तथा रुचिकर योग गुरु से योग सीख सकेंगे चाहे वह योग गुरु विश्व के किसी भी शहर में क्यों न रहता हो | सत्य भी है कि आवश्यक नहीं कि आप जहां पर रह रहे हो वहीं पर अनुभवी एवं स्वयं के कार्य में दक्ष तथा निपुण योग गुरु भी रहता हो| किंतु इस समस्या का हल ऑनलाइन बड़ी आसानी से मिल जाता है | बच्चे स्क्रीन के साथ यूं भी सहज हो चुके हैं | पेरेंट्स को सूचना टेक्नोलॉजी का फायदा उठाते हुए बच्चों को ऑनलाइन योग क्लास हेतु प्रेरित करना चाहिए जिससे योग के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण शारीरिक तथा मानसिक विकास हो सके ऋषि सिंह( योग गुरु  )

योगावास

 

ऋषि सिंह (योग गुरु ) योगावास-  www.yogavaas.in  Certified Yoga and Meditation Trainer #YogaTherapist #Yogguru #Naturelover #SeekerofCosmos

 

बुजुर्गों को ऑनलाइन योग क्यों करना चाहिए?

योग सभी को करना चाहिए चाहे बच्चे हो या बुजुर्ग | बच्चे यदि योग करेंगे तो उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास श्रेष्ठतम स्तर का होगा | ठीक वैसे ही बुजुर्ग यदि योग करेंगे तो उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के ढलने की गति बहुत धीमी हो जाएगी | ऑनलाइन योग इसलिए आसान है कि इससे बुजुर्गों को घर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा | बुजुर्ग स्वयं के समय के अनुसार ऑनलाइन योगा क्लास को कर सकेंगे | मोबाइल चलाने की एवं उस पर वीडियो देखने की आदत यूं भी हमारे बुजुर्गों को पड ही चुकी है |अतः ऑनलाइन योग का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप अपने प्रिय एवं पसंदीदा योग गुरु से योग सीख सकते हैं,चाहे वह किसी भी अन्य शहर में क्यों नहीं रहता हो |

बुजुर्ग योग गुरु की स्क्रीन के ठीक सामने होते हैं जिससे योग गुरु उनके आसनों के पोस्चर एवं एलाइनमेंट को भी अपने निर्देशों द्वारा सही करवाता रहता है | बुजुर्गों को ऑनलाइन योगा क्लास लैपटॉप पर करनी चाहिए क्योंकि उसकी स्क्रीन मोबाइल से काफी बड़ी रहती है | लैपटॉप से स्पीकर भी अटैच हो जाते हैं तो आवाज भी बढ़िया एवं आसानी से सुनाई देती है | यदि बुजुर्गों के घुटनों में दर्द रहता है तो वह कुर्सी पर बैठकर भी योग कर सकते हैं |जी हां चेयर योग भी संभव है | बुजुर्गों को ऑनलाइन योगा क्लास में ब्लू लाइट प्रोटेक्टर चश्मा जरूर पहन लेना चाहिए इससे आंखों को नुकसान नहीं होता |ऑनलाइन योगा क्लास करने हेतु बुजुर्गों को अपने घर में एक स्थान निश्चित एवं नियत कर देना चाहिए इससे ऑनलाइन योग करने में बुजुर्गों को शीघ्र ही सहजता एवं मौलिकता भी आ जाएगी | विज्ञान द्वारा प्रदत्त की गई इस सूचना क्रांति का फायदा हमारे बुजुर्गों को लेना ही चाहिए | तथा ऑनलाइन योग एवं नवीन तकनीक का खुले हृदय से स्वागत करना चाहिए | आवश्यकता होने पर हमारे बुजुर्ग ऑनलाइन डॉक्टर से भी सेवाएं लेते हैं जिससे कि उनका रोग ठीक हो सके | अतः यह बात हुई बीमारी हो जाने के पश्चात उसके उपचार की जो की आवश्यक भी है | ठीक इसी प्रकार हमारे बुजुर्गों को यह ध्यान में लेना चाहिए कि बीमारी आए ही ना कुछ ऐसा करेंकि स्वास्थ्य निरंतर सही बना रहे,इस हेतु भी एक वातावरण तैयार करना होता है और वह वातावरण ऑनलाइन योग करने के माध्यम से तैयार किया जा सकता है | बुजुर्गों की ऑनलाइन योगा क्लास से उन्हें शारीरिक एवं मानसिक श्रेष्ठतम स्वास्थ्य की प्राप्ति तो होगी ही,साथ ही साथ बुजुर्गों की स्वयं की आवश्यकता तथा समय के अनुसार योग करने की सुविधा भी बनी रहेगी |

 

ऋषि सिंह (योग गुरु ) योगावास-  www.yogavaas.in  Certified Yoga and Meditation Trainer #YogaTherapist #Yogguru #Naturelover #SeekerofCosmos

ऑनलाइन मेडिटेशन करना चाहिए या नहीं ?

उपरोक्त प्रश्न की सार्थकता इसमें है कि हम सभी सहमत हैं कि मेडिटेशन (ध्यान )तो सहज रूप से हम सभी के जीवन का एक अंग होना ही चाहिए | अब प्रश्न रहा कि ध्यान ऑनलाइन करें या ऑफलाइन करें? हम जरा ध्यान में ले कि ऑनलाइन मेडिटेशन करने से मेडिटेशन की सार्थकता तो प्रभावित नहीं हो रही? ऑनलाइन मैडिटेशन यही तो होता है कि एक डिवाइस हमारी इंद्रियों (देखना, सुनना) के लिए माध्यम का कार्य करता है | हम हमारी चॉइस के योग गुरु के सानिध्य में मेडिटेशन कर पाते हैं | ऑनलाइन मेडिटेशन में हमारा आने-जाने का समय बचता है,ट्रैफिक में फंस जाने की चिंता का स्वत: निराकरण हो जाता है | घर पर हमारे प्रिय स्थान पर शांतिपूर्ण वातावरण में हम, हमारा डिवाइस( मोबाइल लैपटॉप ),हमारे प्रिय योग गुरु की उपस्थिति तथा मेडिटेशन का आनंद हो जाता है |

विज्ञान ने हमें ऑनलाइन हो जाने की सुविधा दी है | अब यह हमारे विवेक पर निर्भर है कि हम इस सुविधा का सदुपयोग करें या दुरुपयोग करें, निर्माणकारी बने या निरर्थक बने | ऑनलाइन मेडिटेशन क्लासेस के माध्यम से योग गुरु के निर्देशों को सुनना तथा उनकी अनुपालना सहज रूप से करना आसान हो जाता है | योग गुरु आपको ध्यान की गहराइयों में ले जाने हेतु किसी म्यूजिक या धुन का प्रयोग करना चाहे तो आसानी से कर सकता है | ऑनलाइन मेडिटेशन क्लास में आप योग गुरु की स्क्रीन के ठीक सामने होते हैं | गुरु आपकी शारीरिक स्थिति को आसानी से देख एवं समझ पाता है | तथा स्वयं के निर्देशों में आवश्यक बदलाव भी कर पाता है | ऑनलाइन होने से विश्व सही मायने में एक हो चुका है आप अपने प्रिय योग गुरु से मात्र एक बटन की दूरी पर हैं,चाहे आप विश्व में कहीं भी रह रहे हो | सूचना क्रांति ने कमाल ही कर दिया है | हमें भी विज्ञान की इस महान उपलब्धि का फायदा उठाना चाहिए तथा ऑनलाइन योग,ऑनलाइन मेडिटेशन को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए |

ऋषि  सिंह (योग गुरु)

योगावास

थायराइड के लिए यौगिक प्रोग्राम

थायराइड ग्लैंड हमारे गले में स्थित होती है जोकि थायरोक्सिन नामक हार्मोन को स्रावित करती है जब इस थायरोक्सिन हार्मोन का स्त्राव संतुलित रूप से नहीं होता या तो अधिक होता है या कम होता है इसका मतलब है कि थायराइड ग्लैंड सही से कार्य नहीं कर पा रही है तथा परिणाम स्वरूप हमारे शरीर की बहुत सी गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं जैसे कि मेटाबॉलिक रेट हार्ट रेट शरीर का तापमान पाचन प्रक्रिया मस्तिष्क की कार्यप्रणाली त्वचा व हड्डियां मसल्स कांट्रेक्शन फर्टिलिटी इत्यादि हमारा थायराइड के लिए यौगिक प्रोग्राम आपको समग्र रूप से हॉलिस्टिकली थायराइड की समस्या से निदान दिलाने में सहायक सिद्ध होगा योग का विज्ञान ना केवल आप को ठीक करने में सहायक होगा बल्कि थायराइड की समस्या से शरीर के अन्य अंगों में उपजी अन्य कठिनाइयों के निदान में भी सहायक होगा |

यौगिक प्रोग्राम फॉर थायराइड के लाभ

  • हम आपकी मूलभूत चीजों को संतुलित करने का प्रयास करते हैं यथा फूड हैबिट्स योगासनों का विन्यास विश्राम करने का सही तरीका मानसिक स्वास्थ्य इत्यादि
  • अतः हमारा यौगिक प्रोग्राम फॉर थायराइड आपको समस्या की जड़ को समझने व हटाने में सहायक है
  • हमारे यौगिक प्रोग्राम फॉर थायराइड में सम्मिलित हों एवं इस बीमारी से त्वरित प्राकृतिक यौगिक व आसान तरीके से निजात पाने में सफल हों

 

योगावास के यौगिक प्रोग्राम फॉर थायराइड के मुख्य बिंदु :

  1. आपके खाने की आदतों एवं तरीकों को ध्यान में रखते हुए संतुलित यौगिक आहार की जानकारी दी जाएगी
  2. आपके शरीर की आवश्यकता के अनुसार योग आसनों का चयन किया जाएगा
  • योगासन जो कि आप सटीक तकनीक एवं आसानी से कर सकें आपके लिए मॉडिफाई किए जाएंगे
  • यह योगासन आपके शरीर में तनिक भी दर्द नहीं पैदा करेंगे जिससे ऐसा लगेगी शरीर को कोई अति की स्थिति में डालकर सजा दी जा रही हो
  • योगासन एवं एक्सरसाइज के परिष्कृत पेटर्न्स तैयार किए जाएंगे जो कि आप बहुत ही आसानी से कर पाएंगे
  1. विश्राम करने (रेस्ट पैटर्न) के तरीके की भी जानकारी इस प्रोग्राम में दी जाएगी
  2. हमारा थायराइड का यौगिक प्रोग्राम एक कंपलीट पैकेज है :
  • परिष्कृत योग आसनों का समूह है जिसका उद्देश्य थायराइड ग्लैंड के संचालन को सही करना है
  • सूक्ष्म व्यायाम का प्रयोग जिससे गला गर्दन नर्वस सिस्टम पर ध्यान आकृष्ट रहे
  • प्राणायाम तकनीक का प्रयोग जिससे ब्रह्मांड की ऊर्जा को थायराइड ग्लैंड को ठीक करने की ओर आकृष्ट किया जा सके
  • मैडिटेशन की सही तकनीक जोकि आपकी वृहद ऊर्जा को चक्रों के माध्यम से थायराइड ग्लैंड के संचालन को सही करने में सहायक सिद्ध हो,
  • शरीर में रक्त के समुचित प्रवाह हेतु प्रभावशाली किंतु आसान कार्डियो तकनीकों का इस्तेमाल
  • सूर्य नमस्कार की तकनीक का इस्तेमाल जो कि आपके एंडोक्राइन सिस्टम में थायराइड ग्लैंड को सीधे तौर से प्रभावित कर सके
  • आपकी शारीरिक संरचना व आवश्यकता के अनुसार यौगिक आहार (फूड) की जानकारी
  • आवश्यक लाइफस्टाइल बदलावों को जीवन में समाहित करना,
  • शक्तिशाली यौगिक धारणाओं (पावरफुल यौगिक एफर्मेशंस) के द्वारा मस्तिष्क की शक्ति को रोग निदान में उपयोग करना
  1. हमारे यौगिक प्रोग्राम का उद्देश्य थायराइड ग्लैंड के समुचित स्तर पर कार्य करने से है थायराइड ग्लैंड के संतुलित स्तर पर कार्य निष्पादन के निम्नलिखित लाभ है
  • संतुलित थायराइड स्तर से मेटाबॉलिज्म श्रेष्ठ रहता है
  • संतुलित थायराइड स्तर से शरीर का तापमान श्रेष्ठ बना रहता है
  • संतुलित थायराइड स्तर से ह्रदय गति श्रेष्ठ स्तर पर बनी रहती है
  • संतुलित थायराइड स्तर से मस्तिष्क का संचालन श्रेष्ठ स्तर पर होता है
  • संतुलित थायराइड स्तर से ब्लड प्रेशर श्रेष्ठ स्तर पर बना रहता है

 

आप हमारे योगावास के प्रोग्राम्स से जुड़े एवं एक स्वस्थ्य जीवन की ओर बड़े  |

सिगरेट छोड़ने का योगिक तरीका

सिगरेट छोड़ने का योगिक तरीका

प्रत्येक सिगरेट पीने वाले व्यक्ति के मन में कई बार उठना है कि यार छोड़ना तो मैं चाहता हूं लेकिन छोड़ ही नहीं पा रहा हूं | कई व्यक्ति रोज कसम खाते हैं कि अब नहीं पियेंगे | बस यह एक अंतिम पी रहे हैं रोज कसम टूट जाती है | याद रखें कसम सिगरेट पीने वाले व्यक्ति से टूट जाती है वह स्वयं नहीं तोड़ना चाह रहा है |

यह अंतिम सिगरेट है अंतिम दो दिन और पियूंगा अगले 7 दिन नहीं पियूंगा इत्यादि- इत्यादि केवल छलावे हैं | योगिक परिपेक्ष कहता है कोई भी लत उपरोक्त छलावों से नहीं छूट सकती |

योग कहता है यदि सिगरेट छोड़नी है तो व्यक्ति को सिगरेट के प्रति होशपूर्वक होना पड़ेगा | मनुष्य सिगरेट को बड़ी गहरी बेहोशी में पीता है | सिगरेट पी रहा है और सारा ध्यान माथे में चलने वाले विचारों पर लगा हुआ है | बस टेंशन में है और पी रहा है या किसी बढ़िया बात को याद कर रहा है और सिगरेट पी रहा है | उपरोक्त वर्णित दोनों अवस्थाओं में ही बेहोशी है योग कहता है कि ध्यान कहीं और हो तथा हम कोई भी क्रिया करते चले जा रहे हो ऐसी क्रिया बेहोशी की श्रेणी में आती है |

जब हम हमारा मन,मस्तिष्क, शरीर, सांस सभी को एक जगह इकट्ठा करके किसी भी कार्य में रमते हैं, केवल तब ही हम होशपूर्वक होते हैं | अन्यथा हम बेहोशी में ही होते हैं | इसका अर्थ हुआ जो भी व्यक्ति सिगरेट छोड़ना चाहता है उसे बस एक ही संकल्प करना होगा कि सिगरेट को जब भी पियेंगा होशपूर्वक ही पिएगा | सिगरेट को निकाल कर जलाने से लेकर पूरी पीने तक की संपूर्ण प्रक्रिया को बड़े ही होशपूर्वक ढंग से, अत्यधिक ध्यानपूर्वक पूरा आनंद लेते हुए करेंगे  |धुएं को फेफड़ों में जाते हुए महसूस करेंगे,धुएं के छल्ले को मुंह से निकलकर हवा में जाते हुए भी देखेंगे | योग कहता है जब हम होश से भरे हुए होते हैं तब हमसे केवल शुभ ही हो सकता है | आनंददायी ही हो सकता है, कल्याणकारी ही हो सकता है क्योंकि होश में ईश्वर विद्यमान होता है|  ईश्वर हमसे कभी अहितकारी, अशुभ, अकल्याणकारी करवाता ही नहीं है |

होशपूर्वक सिगरेट पीने से कुछ ही समय में आप पाएंगे कि यार मजा ही नहीं आ रहा | मैं यह क्या करें ही जा रहा हूं ? आपको स्वयं ही सिगरेट की निरर्थकता का अनुभव हो जाएगा | याद रखिए आपके इस अनुभव के कारण ही सिगरेट आपसे छूट जाएगी | सिगरेट छोड़ी नहीं जाती सिगरेट छूट जाती है | सिगरेट छूटना आपके होशपूर्वक होने का परिणाम है | आप संकल्प के साथ इस प्रयोग को एक महीना करिए योग कहता है आप जीतेंगे और सिगरेट हारेगी

ऋषि सिंह

योग गुरु (योगावास )

yogavaas.in

योगिक जीवन शैली क्या है

योगिक जीवन शैली क्या है – Yogic jeevan shailee kya hai

योग का दैनिक जीवन में उपयोग कैसे करें ? योगिक जीवन शैली क्या है ?   योग से कैसे स्वास्थ्य की समग्रता प्राप्त की जा सकती है। आईये यहाँ समझते हैं |

वर्तमान समय में योग को करने को लेकर सभी ओर चर्चाएँ है। कैसे, क्यों, कहाँ योग को लेकर सूचनाओं की बाढ की सी प्रतीत होती है। आइये प्रयास करते है, कि क्यों योग दैनिक दिनचर्या का अंग होना चाहिए।

  1. योग आदिकाल से चला आ रहा भारतीय ज्ञान है।
  2. योग में स्वयं का, स्वयं के शरीर का एवं स्वयं के मस्तिष्क का उपयोग किया जाता है किसी बाह्य तत्व का नहीं।
  3. योगाभ्यास से शारीरिक सौष्ठव की ओर अग्रसरता बढती है।

योग प्राचीनतम् भारतीय विज्ञान है जो कि हमारे ॠषि-मुनियों ने प्रकृति से प्राप्त किया है। मानवीय सभ्यता के विकास के साथ-साथ ही योग का भी आरंभ हो गया था। उस समय का मानव विशुद्ध रूप से प्रकृति से समत्वभाव रखता होगा। ॠषि, मुनियों एवं योगियों ने योग के विज्ञान को समझा, उसके साथ दैनिक दिनचर्या के प्रयोग किये एवं शुद्ध रूप से योग का विकास एवं विस्तार किया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि योग प्राचीनतम् मनुष्य का एक सर्वोच्च ज्ञान है जो कि मानवीय शरीर एवं मस्तिष्क के लिए अति उपयोगी है। योग को सभी व्यक्तियों को स्वयं की दैनिक दिनचर्या का अभिन्‍न अंग बनाना चाहिए।

योग आसनों में सुपरिष्कृत शारीरिक अवस्थाओं में श्‍वांस प्रश्‍वांस की तकनीक के माध्यम से स्थिर अवस्था में रहने का अभ्यास किया जाता है।

ईश्‍वर की सर्वोच्च परिष्कृत कृति ‘मानवीय शरीर’ के माध्यम से शारीरिक एवं मानसिक श्रेष्ठता को पाने का प्रयास किया जाता है। योग में किसी भी बाह्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। मात्र एक योग का मैट चाहिए एवं खुले आसमान के नीचे हवादार स्थान पर आप योग का अभ्यास कर सकते हैं।

योग हमारे शरीर की सूक्ष्मतम नाडियों, शिराओं के माध्यम से उर्जा का सम्पूर्ण शरीर एवं मस्तिष्क में संचार कर देता है। इससे हमारे शरीर, मस्तिष्क एवं हमारे स्वयं के मध्य एक समत्व की स्थापना हो पाती है। योग में निरंतरता एवं अभ्यास के द्वारा सर्वांगीर्ण शारीरिक एवं मानसिक श्रेष्ठता की प्राप्ति होती है।

लेखक : ॠषि सिंह

दिनांक  : 15th जुलाई 2023
सर्टिफाइड योग एंड मैडिटेशन ट्रेनर www.yogavaas.in #Yogaseeker #YogaTherapist # LifeStyleCoach #Naturelover #SeekerofCosmos

 तेज़ दिमाग के लिए योगासन

 तेज़ दिमाग के लिए योगासन – Tez dimaag ke liye yogasana

योग की प्रामाणिक शारीरिक अभिव्यक्ति में क्या सम्मिलित होता है। योग आसनों को करने की सामान्य परिकल्पना को यहाँ पढियें :-

  1. योग आसनों को करने के लिए मस्तिष्क शरीर को निर्देशन देता है कि शरीर एक नियत अवस्था में आजाए-यहाँ शरीर एवं मस्तिष्क के मध्य एकत्व का प्रयास होता है।
  2. योग आसनों को करने की सटीक तकनीक सीखना जिससे कि शरीर एवं मस्तिष्क के मध्य समत्वभाव की स्थापना हो सके। इससे स्वास्थ्य की समग्रता की प्राप्ति होती है।

आसन, योग सीखने का तीसरा एवं अतिमहत्वपूर्ण अंग होते हैं। आसन योग की द्रड एवं शारीरिक अभिव्यक्ति होते हैं। योग के जो बाकि सात अंग हैं यम, नियम, प्राणायाम, प्रत्याहारा, धारणा, ध्यान, समाधि-ये सभी योग की अप्रत्यक्ष शारीरिक अभिव्यक्ति हैं, जिनका मस्तिष्क से सीधा संबंध है।

अत: आसन योग के प्राथमिक अभ्यास की विद्या हैं। योग आसनों से मस्तिष्क एवं शरीर के मध्य सर्वोच्य तालमेल की स्थापना होती है। इससे व्यक्ति मैं कौन हूँ। इस प्रश्‍न के उत्तर को जानने के मार्ग पर बढने लगता है। योग आसन अपने आप में ही अति विस्त्रित विषय है जिसका समग्र समुचित रूप से उल्लेख यहाँ पर संभव नहीं है। योग आसनों को मात्र एक जिज्ञासु मस्तिष्क ही समझ सकता है।

यहाँ हम योग आसनों को ऐसे परिपेक्ष में समझाने का प्रयास करेंगे जिससे एक विषय के रूप में योग के विद्वार्थी को समझ आसके।

योग आसन मस्तिष्क एवं शरीर के मध्य श्रेष्ठतम् सामन्जस्य की स्थापना करते हैं। यहाँ पर समझते हैं कि योग आसनों के द्वारा उपरोक्‍त कथन कैसे प्राप्त किया जा सकता है। मस्तिष्क हमारी समस्त इंद्रियों का नियंत्रक केंद्र है। मानवीय शरीर अभ्यास के द्वारा किसी भी वातावरण या अवस्था में ढल सकता है। आसनों के द्वारा हम हमारे मस्तिष्क को अभ्यस्थ कर सकते हैं कि वह हमारे शरीर को किसी अवस्था विशेष में स्थिर बनाए रखें। योग आसनों को सटीक तकनीक से करने पर ही मस्तिष्क का उपरोक्‍त वर्णित अभ्यास संभव है। मस्तिष्क हमारे शरीर को किसी आसन की मुद्रा में बनें रहने का अभ्यस्थ बनाता है। अत: हमने समझा कि मस्तिष्क एवं शरीर योग आसनों में सामन्जस्य से कार्य करते हैं एवं यहीं से शरीर एवं मस्तिष्क में एकत्व का भाव स्थापित होने लगता है। योग के जिज्ञासु व्यक्ति योग गुरू के सानिध्य में अभ्यास करते हैं। अत: वे श्रेष्ठ स्थिति ‘‘योग: कर्मसु कौशलम्’’, जिसका उल्लेख श्री कृष्ण ने गीता में किया है की ओर बढते हैं।

योग आसनों के अनुशासित अभ्यास के द्वारा हमारे शरीर के ऊर्जा चक्र सक्रिय हो जाते है। इससे सम्पूर्ण शरीर में ऊर्जा का सुचारू संचार होता रहता है। ऊर्जा के सुचारू संचार से शरीर एवं मस्तिष्क में प्रसन्‍नचित्ता एवं चिर आनंद का भाव बना रहता है। इससे आंतरिक चिरशांति की स्थापना हमारे भीतर हो पाती है।

योग आसन शरीर एवं मस्तिष्क के द्वारा बाह्य रूप से किया जाने वाला योगाभ्यास है। इससे शारीरिक सौष्ठव एवं मानसिक विलक्षणता की प्राप्ति होती है।

योग आसनों को करने से हमारा शरीर अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल पाता है, इसका परिणाम श्रेष्ठ शारीरिक सौष्ठव की प्राप्ति होता है। योग आसनों से स्वास्थ्य की समग्रता की प्राप्ति होती है।

समत्व भव: आसनों के परिपेक्ष में इसका अर्थ हुआ आसनों की मुद्रा में सम्पूर्ण एकत्व। योग के विद्यार्थी का प्रमुख उद्देश्य आसनों को करने की सही एवं श्रेष्ठ तकनीक को सीखना होना चाहिए। इससे पैर के अंगुठे से लेकर सिर तक का एक सम्पूर्ण संतुलन स्थापित होगा। अत: समत्व भव: की प्राप्ति होगी। आसनों को सही तकनीक से करने पर सम्पूर्ण शरीर में रक्‍त का प्रवाह सही होता है जिससे आंतरिक अंग स्वस्थ बने रहते हैं। अत: व्यक्ति को स्वास्थ्य की समग्रता की प्राप्ति होती है।

योगावास में हम अष्टांग योग का अनुसरण करते हैं एवं इसी अष्टांग योग की विद्या को सिखाते भी है। इससे योग के विद्यार्थी की माँसपेशियाँ सशक्‍त एवं सुडौल बनती है, हडि्डयाँ मजबूत एंव गहरी होती है। शरीर सुडौल एवं लचीला बनता है। हमारा उद्देश्य है कि योग के विद्यार्थी में शारीरिक सुडौलता एवं मानसिक चिर शांति की प्राप्ति हो।

योग के प्रशिक्षु स्वयं की सर्वोच्च चेतना का अनुभव कर पाएं एवं वही से स्वयं के शरीर एवं मस्तिष्क का संचालन करने में सक्षम हो। उपरोक्‍त वर्णित स्थिति हम बाह्य जगत में ढूंढते रहते हैं जबकि ये सभी योग के अंदर विद‍्यमान रहती है।

लेखक : ॠषि सिंह

दिनांक  : 10th जुलाई 2023
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घबराहट के लिए प्राणायाम

घबराहट के लिए प्राणायाम -Ghabrahat ke liye Pranayama

योग की गहराई को समझना-प्राणायाम | यहाँ पर पढिये प्रणायाम की सामान्य जानकारी एवं प्राणायाम क्यों श्‍वास प्रश्‍वास की श्रेष्ठतम् तकनीक है?

हम योगावास में  यह मानते हैं कि प्राणायाम मानवीय मस्तिष्क को कुशाघ्र करने की श्रेष्ठ विद्या है। प्राण का अर्थ प्राणवायु से होता है। बोलचाल की भाषा में प्राण अर्थात् वायु जो हम श्‍वांस के माध्यम से अंदर लेते हैं। आयाम से तात्पर्य नवीन विस्तार से होता है। अत: प्राणायाम से अर्थ नियंत्रित रूप से प्राणवायु का तारतम्य के साथ विस्तार है। सांसों को नियंत्रित करने के 3 चरण होते हैं :-

(1)          श्‍वांस          (2)          प्रश्‍वांस        (3)          श्‍वांस रोककर रखना

श्‍वांस को रोककर रखने की विद्या श्‍वांस एवं प्रश्‍वांस के मध्य में की जाती है। प्राणायाम योग गुरू के सानिध्य में ही किया जाना चाहिए क्योंकि यह विज्ञान होने के साथ-साथ कला भी है। प्राणायाम सासों में तारतम्यता एवं नियंत्रण स्थापित करता है। अत: योग के विद्यार्थी का स्वयं के मस्तिष्क पर भी नियंत्रण होना चाहिए। नियंत्रित मस्तिष्क सदैव सकारात्मक एवं रचनात्मक होता है। योग आसनों में भी दक्षता तब ही आती है जब मस्तिष्क नियंत्रित होता है। प्राणायाम से हमारा श्‍वसनतंत्र मजबूत बनता है। इससे हमारा स्नायुतंत्र मजबूत बनता है। प्राणायाम की विद्या निरंतरता चाहती है। प्राणायाम में पारंगतता आने पर हमारे शरीर के सभी अंग स्वस्थ बने रहते हैं। इससे हमें स्वास्थ्य की समग्रता प्राप्त होती है।

लेखक : ॠषि सिंह

दिनांक  : 10th जुलाई  2023
सर्टिफाइड योग एंड मैडिटेशन ट्रेनर www.yogavaas.in #Yogaseeker #YogaTherapist # LifeStyleCoach #Naturelover #SeekerofCosmos

पेट एवं योग आसन

पेट एवं योग आसन- Pate evam yogasana

योग के द्वारा कैसे समतल पेट पाया जा सकता है।
योग आसन हमारे पेट की मांसपेशियों एवं अंगों पर नैसर्गिक रूप से कार्य करते हैं। यहाँ पर पढियें कैसे?

हम यहाँ पर विशेषतौर से पेट एवं योग आसनों पर चर्चा करेंगे क्योंकि समतल पेट या बिना अतिरिक्‍त चर्बि वाला पेट पाना वर्तमान समय में सभी की चाह है। योग करने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले लाभकारी प्रभाव की चर्चा हमने हमारे अन्य ब्लॉग में की है।

योग आसन एवं पेट पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को हम ऐसे समझ सकते है कि आसनों से हमारे पेट के मसल्स सुडौल बनते हैं, अतिरिक्‍त चर्बि हर जाती है एवं पेट के अंग भी पूर्णतया स्वस्थ्य बने रहते हैं। जैसा कि विदित है कि जब हमारा पेट स्वस्थ्य रहता है तब ही हम पूर्णतया स्वस्थ्य रहते हैं। योग आसनों से पेट की नैसर्गिक रचना बनी रहती है। पेट की मांसपेशियाँ जब सूद्रड रहती है तो पीठ पर भी अतिरिक्‍त भार एवं तनाव नहीं रहता। पेट संबंधी विभिन्‍न विकार जैसे गैस, ऐसिडिटी, ब्लोटिंग इत्यादि को सही यौगिक तकनीक से किये जाने वाले आसनों से ठीक किया जा सकता है।

लेखक : ॠषि सिंह

दिनांक  : 5th जुलाई 2023
सर्टिफाइड योग एंड मैडिटेशन ट्रेनर www.yogavaas.in #Yogaseeker #YogaTherapist # LifeStyleCoach #Naturelover #SeekerofCosmos

योग का इतिहास

योग का इतिहास- Yog ka itihaas 


योग का हस्तातंरण भारत से पश्‍चिम एवं पुन: भारत की ओर!


योग कैसे सम्पूर्ण विश्‍व में प्रसिद्ध हो गया। यहाँ पर पढ़ें अभ्यास के रूप में योग का इतिहास।
1. भारत की भूमि में योग का प्रादुर्भाव हुआ।
2. भारत पर लगभग 200 वर्षों तक राज करने वालों के द्वारा योग को हटाने का प्रयास
3. भारत में योग का पुन: प्रस्फुटन एवं सम्पूर्ण विश्‍व में इसके लाभों के कारण विस्तार

‘‘योग के विद्यार्थी या योग के ग्राहक / चुनना आपको है।’’
श्री बी.के.एस. आयंगर
विश्‍वविख्यात योगाचार्य

योग हमारे जीवन का अभिन्‍न अंग क्यों हो?

इसे समझने के लिए योग के प्रादुर्भाव को देखते हैं साथ ही साथ कैसे योग को हमारी स्मृति से हटाने का प्रयास हुआ, इसे भी जानते हैं। प्राचीन काल में भारत ॠषि, मुनियों, योगियों, सन्यासियों की भूमि था। इन्होंने योग को जीवन पद्धति के रूप में अपनाया था। यह शांति, सम्पन्‍नता एवं खुशहाली का समय था। 1000 ए.डी. के आसपास आक्रांता महमूद गजनी ने भारत पर आक्रमण किया एवं उसने भारत की धन सम्पत्तियों को लूटा, मंदिरों को लूटा एवं ध्वस्थ किया। उस समय उसे योग से संबंधित लेख भी मिले। गजनी के सलाहकार अलबरूनी ने कहा कि जब तक इन लेखों का हम अनुवाद अरबी में नहीं करते इन्हें ध्वस्थ नहीं करें। अत: पतंजलि योग सूत्र का अरबी अनुवाद भी उपलबध है।


जब अंग्रेज भारत में आए उन्होंने मैक्यावलि की शिक्षा पद्धति भारत पर थोपि जिसका उद्देश्य सस्ते बाबू तैयार करना था। अंग्रेजों का उद्देश्य यह भी था कि अंग्रेजी भाषा भारत के पढ़े लिखे लोगों को आजाए जिससे हमें सुविधा हो सकें। अंग्रेजी भाषा आने का अभियान वर्तमान समय में भी हमारे समाज का एक हिस्सा है। अधिक पैसे वाले व्यक्‍ति का उद्देश्य बच्चों को बड़ी अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में दाखिला, डाईनिंग टेबिल पर बैठकर जंक फूड खाना। प्राचीन समय में इसी भारतीय संस्कृति का हिस्सा था गुरू शिष्य परंपरा जहाँ शिष्य खुले नीले आसमान के नीचे बैठकर गुरू से ज्ञान लेता था। योग आसन, प्राणायाम का अभ्यास गुरू के सानिध्य में किया जाता था।
मौखिक एवं प्रासंगिक रूप से प्राचीन ॠषि-मुनियों द्वारा शिष्यों को दिया गया योग का ज्ञान यदि परंपरागत रूप से जारी रहता तो अधिक लाभप्रद था। आक्रांताओं के समय-समय पर भारत पर किए गए हमलों एवं अंग्रेजों द्वारा प्रदत्त शिक्षा नीति ने साजिश के तहत योग को हमारी जीवन शैलि से हटाने का प्रयास किया गया। वर्तमान समय में भी योग के प्रति वैसी जागरूकता नहीं है जैसी कि हो जानी चाहिए थी।


हम पर राज करने वाले अंग्रेजों ने एवं यद्पि पश्‍चिमि देशों ने योग की महत्वता को समझाते हुए उसे अपनी जीवनशैलि का अंग बना लिया है तदपि भारत जहाँ से योग का उदय हुआ, इसे अपनी जीवनशैलि का अभिन्‍न अंग नहीं बना पाया है।महर्षि पंतजलि के योग सूत्र एवं स्वामि स्वात्माराम के हढयोगा प्रदीपिका का प्रभाव भारत भूमि पर इतना गहरा है कि कोई भी इसे हमारी जड़ों से नहीं हटा सकता। भारत सरकार के प्रयासों से योग के प्रति जनसाधारण की जागरूकता बढी जरूर है। संयुक्‍त राष्ट्रसंघ के द्वारा भी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया है।अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से भी सिद्ध होता है कि योग हमारी जीवन शैली  का एक अभिन्‍न अंग है, जिसके महत्व को हमें अभी और समझना है।

दिनांक   21st जून  2021
सर्टिफाइड योगा एंड मैडिटेशन ट्रेनर
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